उद्देश

साहेब कांशी राम ने 1978 में बामसेफ को लॉन्च करने के बाद अप्रैल 1979 में "द ऑप्रेस्ड इंडियन" नामक एक मासिक पत्रिका शुरू की थी, जो उनके अपने शब्दों में "एक सतर्क और अद्यतन समाचार सेवा थी, जो खुद उत्पीड़ित भारतीयों द्वारा सशस्त्र और संचालित थी| कांशीराम स्वयं संपादकीय लिखते थे। उद्घाटन अंक के संपादकीय के लिए उन्होंने लिखा....

“पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के ये सभी लोग, जो भारत की लगभग 85% आबादी बनाते हैं, राष्ट्र की समाचार सेवा में बहुत कम हिस्सेदारी रखते हैं। उनके बारे में या उनकी गंभीर समस्याओं से संबंधित समाचार प्रेस में आकस्मिक तरीके से ही दिखाई देते हैं। युवा, छात्र, किसान, श्रमिक, शिक्षित, कर्मचारी और यहां तक ​​कि इन समुदायों के नेता भी पूरी जानकारी के बिना अंधेरे में टटोलते और संघर्ष करते रहते हैं... प्रेस का सवर्ण हिंदू एकाधिकार उत्पीड़ितों पर किए गए अत्याचारों और अत्याचारों के बारे में केवल अधूरी खबरें देता है|घटना, परिणाम और की गई कार्रवाई, यदि कोई हो, को सवर्ण प्रेस द्वारा प्रचारित नहीं किया जाता है ... बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने हमारे लोगों की शिकायतों को दूर करने और शीघ्र निवारण के पक्ष में जनमत बनाने के लिए हमारी अपनी समाचार सेवा के महत्व को महसूस किया था। उन्हें इसका अहसास करीब 60 साल पहले हुआ था, जब अछूतों में कोई साक्षर व्यक्ति नहीं था...।"

साहेब कांशी राम ने फुले अम्बेडकरवादी सांगठनिक दर्शन पर चलते हुए बहुजन जन-आंदोलन के लिए समानांतर मीडिया की आवश्यकता को समझा। "द ऑप्रेस्ड इंडियन" से पहले उन्होंने 1972 में 'द अनटचेबल इंडिया' प्रकाशित किया था। 1984 में, उन्होंने मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में एक दैनिक "बहुजन टाइम्स" शुरू किया। फिर बहुजन साहित्य, आर्थिक उत्थान, श्रमिक साहित्य आदि जैसे अधिक मासिक और बहुजन संगठक, बहुजन नायक जैसे साप्ताहिक थे। "द ऑप्रेस्ड इंडियन" के उसी उद्घाटन अंक में,कांशी राम ने संपादकीय को यह कहते हुए समाप्त किया था कि "द ऑप्रेस्ड इंडियन का प्रकाशन, और एक मासिक समाचार पत्रिका अभी शुरू हो रही है। आगे का कार्य चुनौतीपूर्ण है!

 हमारा पहले से ही अखबार चलाने का इतिहास रहा है| लेकिन किसी कारणवश हम जीवित नहीं रह पाए हैं| और इसलिए हमारे पास खुद का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई मंच नहीं है। द स्टेट्स का काम है कि हम राष्ट्रपिता म.फुले, छत्रपति शाहू महाराज, बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर तथा साहेब कांशीराम की विरासत को आगे बढ़ाएं।तथा समाज का आन्दोलन आगे बढ़ाने में योगदान दे|